Sunday, December 30, 2012

यह वो  देश है जब चोट दिल्ली को लगती है क्या यू पी, क्या एम पी , महाराष्ट्र, बिहार, पंजाब सारा देश रो पड़ता है। क्यों न रोये उसके जैसी बेटी तो है हम सबकी भी, वो भी तो हमारी बहन थी। हम एक दुसरे का दर्द समझते है, और बहरी सत्ता को जगाने की कोशिश करते है , सत्ता पर बैठे लोग हमें बहुत छोटा समझते है इसलिए ही तो बस आश्वासन देकर किसी घिनौने अपराध को भूल जाते है। आश्वासन इसलिए देते है की हम सबका आक्रोश कम हो जाए और विरोध प्रदर्शन थम जाए। उसे न्याय मिलना चाहिए , उसे न्याय दिलाने की कवायत कब से सुरु है काश उसके जीते जी उसे न्याय मिलता तो आज दिलो में सुलगती आग ठंडी होती। अब तो जागो उसकी आत्मा मेरे अन्दर तुम्हारे अन्दर चीख रही है झटपटा रही है और वो सारा खेल देख रही जो अभी भी हो रहा है, सब कुछ उसी ढर्रे पर चल पड़ेगा जैसा चलता आया। जब रक्षक ही भक्षक है तो क्या होगा ? कुछ सरफिरे लोगो की वजह से हम सब शर्मसार है दर्द की इस घडी में हम चाहे जितना सुबक लें चाहें जितना चिल्लाएं होगा वही जो सत्ता चाहेगी कल तक हम अंग्रेजों के गुलाम थे और आज ये यहाँ लिखने की जरूरत नहीं। कोई शब्द नहीं उस लडकी के बारे में कुछ और कहने के लिए। कहा तो सबने है सुना कितनो ने है ?
न्याय और सविधान की दुहाई देने वाले ये लोग इतना नहीं समझते जिन्होंने बड़े नाजों से पाल पोसकर अपनी बेटी को अपने कदमो पर चलना सिखाया उनके दिल पर क्या बीत रही होगी। अगर समझते होते आज हम हिन्दुस्तानियों का सर शर्म से झुका न होता। नहीं चाहिए ऐसा सविधान जो वक़्त रहते किसी को न्याय नहीं दिला सकता। इतना जघन्य अपराध होने पर भी जो कानून के हाँथ बाँध कर रखे। राम की इस जन्मभूमि  में हमें अब तो रावन की भी जरुरत है जो कम से कम अपने बहन की फिक्र तो करे। दोस्तों ये सत्ता कुछ नहीं करती हम ही कुछ करे। एक दुसरे को सम्मान दें किसी की तकलीफ को नज़रंदाज़ न करें , अगर कोई हाँथ किसी की मदद के लिए उठे तो उसका साथ देने से न कतराएँ। अगर ऐसा हम सीखेंगे तो कम से कम इतनी बेदर्दी से किसी का सम्मान तो नहीं छिनेगा न किसी की दुनिया तबाह होगी और न ही हमें इस बहरी सत्ता से कुछ कहने की जरुरत पड़ेगी।       

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